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Sundar Pichai|मुंबई कोर्ट ने गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई को नोटिस जारी किया: कॉपीराइट विवाद पर बड़ा कदम|

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Sundar Pichai|मुंबई कोर्ट ने गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई को नोटिस जारी किया: कॉपीराइट विवाद पर बड़ा कदम|

परिचय: डिजिटल युग में अधिकारों की सुरक्षा

मुंबई की एक अदालत ने गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई (Sundar Pichai) और कंपनी के पांच अन्य अधिकारियों को कॉपीराइट उल्लंघन के मामले में नोटिस भेजा है। यह मामला फिल्म निर्माता सुनील दर्शन द्वारा दायर किया गया, जिन्होंने आरोप लगाया है कि उनकी फिल्म “एक हसीना थी, एक दीवाना था” के वीडियो और गाने यूट्यूब पर बिना अनुमति के अपलोड किए गए।

सुनील दर्शन ने अदालत में अपनी याचिका में कहा कि उन्होंने अपनी फिल्म को किसी भी डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर अपलोड करने की अनुमति नहीं दी थी। इसके बावजूद, यूट्यूब पर उनकी फिल्म से संबंधित सामग्री कई चैनलों पर उपलब्ध है। उन्होंने गूगल और यूट्यूब पर आरोप लगाया कि वे उनकी रचनात्मक संपत्ति का अनधिकृत उपयोग (Unauthorized Use) कर विज्ञापन से मुनाफा कमा रहे हैं।

कोर्ट का आदेश: न्याय का मार्ग

अदालत ने इस मामले में पुलिस को एफआईआर (FIR) दर्ज करने का आदेश दिया। यह एफआईआर कॉपीराइट अधिनियम, 1957 की धारा 51, 63, और 69 के तहत दर्ज की गई है। सुनील दर्शन के अनुसार, गूगल द्वारा उनकी बार-बार की गई शिकायतों को अनदेखा किया गया, जिसके कारण उन्हें कानूनी सहायता लेनी पड़ी।

गूगल का पक्ष: डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म की भूमिका (Role of Digital Platforms)

गूगल ने अपने जवाब में कहा कि वह कंटेंट आईडी सिस्टम (Content ID System) जैसे उपकरण प्रदान करता है, जो सामग्री स्वामियों को उनकी रचनाओं की पहचान करने और गैरकानूनी सामग्री को हटाने में सक्षम बनाता है।

गूगल का कहना है कि वे कॉपीराइट उल्लंघन के मामलों में कानून का पालन करते हैं और ऐसी सामग्री को तुरंत हटा देते हैं।

तकनीकी कंपनियों की जिम्मेदारी

यह मामला तकनीकी कंपनियों को यह समझाने का मौका देता है कि डिजिटल युग में रचनात्मक संपत्ति और बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights) की सुरक्षा कितनी महत्वपूर्ण है।

सुंदर पिचाई जैसे प्रमुख नेता इस घटना के केंद्र में हैं, और इससे बड़ी तकनीकी कंपनियों पर जवाबदेही बढ़ सकती है।

सुंदर पिचाई (sundar pichai) और यूट्यूब पर कार्रवाई: ध्यान फाउंडेशन विवाद का विस्तार|

विवाद की पृष्ठभूमि

सूत्रों के अनुसार, यूट्यूब पर एक वीडियो अपलोड किया गया था, जिसमें NGO ध्यान फाउंडेशन (Dhyan Foundation) और इसके संस्थापक योगी अश्विनी (Yogi Ashwini) के खिलाफ कथित रूप से आपत्तिजनक सामग्री दिखाई गई थी। इस वीडियो ने संगठन और उसके समर्थकों के बीच आक्रोश पैदा किया।

इस मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करते हुए, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (Chief Judicial Magistrate) की अदालत ने 21 नवंबर 2023 को संबंधित वीडियो को यूट्यूब से पूरी तरह हटाने का आदेश दिया था।

अदालत का आदेश और पालन की विफलता

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा दिए गए आदेश का पालन करना यूट्यूब और इसके प्रबंधन की जिम्मेदारी थी।

अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा था कि यह वीडियो यूट्यूब के प्लेटफ़ॉर्म से हटा दिया जाए। हालांकि, इसके बावजूद यूट्यूब ने अदालत के इस आदेश को नजरअंदाज किया और वीडियो को प्लेटफ़ॉर्म से नहीं हटाया गया। अदालत ने इसे गंभीरता से लेते हुए गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई (Sundar Pichai) को नोटिस जारी किया।

यूट्यूब की भूमिका और विवाद

यूट्यूब, जो गूगल का एक प्रमुख प्लेटफॉर्म है, अक्सर इस प्रकार की शिकायतों का सामना करता है। डिजिटल युग में, जहां इंटरनेट पर सूचना और वीडियो सामग्री तेजी से प्रसारित होती है,

यह सुनिश्चित करना यूट्यूब की जिम्मेदारी है कि उसका प्लेटफ़ॉर्म किसी भी प्रकार की गैरकानूनी या आपत्तिजनक सामग्री से मुक्त हो। अदालत के आदेश का पालन न करने से यह सवाल उठता है कि क्या डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म कानूनी आदेशों का पालन करने में असमर्थ हैं या वे जानबूझकर इन्हें नजरअंदाज करते हैं।

सुंदर पिचाई को नोटिस जारी

इस मामले में, सुंदर पिचाई (Sundar Pichai) को उनकी जिम्मेदारी के तहत नोटिस भेजा गया। गूगल के शीर्ष अधिकारियों को इस प्रकार की घटनाओं के लिए जवाबदेह ठहराया गया है, क्योंकि यूट्यूब गूगल के स्वामित्व में है।

ध्यान फाउंडेशन और इसके संस्थापक योगी अश्विनी के प्रति कथित रूप से अनुचित व्यवहार ने यह स्पष्ट किया कि डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म को अपने नीतियों और कानूनों के अनुपालन में अधिक पारदर्शी होना चाहिए।

डिजिटल अधिकार और कानूनी कार्रवाई

यह मामला एक बड़े संदर्भ में डिजिटल अधिकारों और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म की जिम्मेदारियों पर प्रकाश डालता है। यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म के लिए यह आवश्यक है कि वे उपयोगकर्ताओं की शिकायतों का त्वरित समाधान करें और अदालत के आदेशों का पालन सुनिश्चित करें।

अदालत का आदेश न केवल एक कानूनी दायित्व है बल्कि यह डिजिटल स्पेस में न्याय की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है।

भविष्य की दिशा

यह विवाद यह दिखाता है कि डिजिटल युग में कानूनी आदेशों का पालन करना कितना महत्वपूर्ण है। सुंदर पिचाई जैसे उच्चस्तरीय प्रबंधकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि गूगल और इसके प्लेटफ़ॉर्म जैसे यूट्यूब अदालत के आदेशों का सख्ती से पालन करें। यह घटना अन्य डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के लिए भी एक उदाहरण बन सकती है कि वे अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लें।

गूगल और ध्यान फाउंडेशन विवाद: प्रतिष्ठा पर संकट और कानूनी लड़ाई|

मामले की पृष्ठभूमि

गूगल और यूट्यूब पर ध्यान फाउंडेशन और इसके संस्थापक योगी अश्विनी (Yogi Ashwini) के खिलाफ वीडियो अपलोड होने के बाद विवाद गहराता गया। वीडियो का शीर्षक था “पाखंडी बाबा की करतूत”, जिसमें ध्यान फाउंडेशन और योगी अश्विनी पर गंभीर और झूठे आरोप लगाए गए। इस वीडियो ने न केवल उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया, बल्कि उनके समर्थकों में भी गहरी नाराजगी पैदा की।

अदालत का आदेश और गूगल की प्रतिक्रिया

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (Chief Judicial Magistrate) ने 21 नवंबर 2023 को आदेश दिया कि यह वीडियो तुरंत यूट्यूब से हटा दिया जाए। हालांकि, एनजीओ का दावा है कि गूगल ने जानबूझकर आदेश का पालन नहीं किया और वीडियो अभी भी यूट्यूब पर देखा जा सकता है।

ध्यान फाउंडेशन ने गूगल के इस रवैये को “देर करने की रणनीति” करार दिया। उन्होंने कहा कि गूगल निराधार स्थगन (Adjournments) की मांग करता रहा, जबकि इससे उनकी प्रतिष्ठा (Reputation) को गहरा नुकसान हो रहा था।

गूगल पर आरोप: सुंदर पिचाई को भी किया गया शामिल

इस मामले में, ध्यान फाउंडेशन ने गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई (Sundar Pichai) को भी नोटिस जारी करने का आग्रह किया। उनका कहना है कि गूगल जैसी बड़ी कंपनी की जिम्मेदारी थी कि वह अपने प्लेटफ़ॉर्म पर झूठी और आपत्तिजनक सामग्री को तुरंत हटाए। एनजीओ ने तर्क दिया कि यह न केवल उनकी छवि को खराब कर रहा है, बल्कि उनके मानसिक और सामाजिक सम्मान (Mental and Social Dignity) को भी चोट पहुंचा रहा है।

ध्यान फाउंडेशन का पक्ष

ध्यान फाउंडेशन का कहना है कि योगी अश्विनी और उनकी संस्था का चरित्र बेदाग रहा है। उन्होंने गूगल पर आरोप लगाया कि उसने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया और जानबूझकर वीडियो को नहीं हटाया। एनजीओ ने कहा,

“गूगल देर कर रहा था और ओछे आधार पर स्थगन की मांग कर रहा था, जबकि हमारी प्रतिष्ठा को गहरा नुकसान पहुंच रहा था।”

अदालत में अगली सुनवाई

इस मामले में अगली सुनवाई 3 जनवरी 2025 को तय की गई है। अदालत के आदेशों के बावजूद विवादित वीडियो अभी भी यूट्यूब पर उपलब्ध है। ध्यान फाउंडेशन ने इसे गूगल और यूट्यूब की लापरवाही बताया है, जिससे उनकी छवि को अपूरणीय क्षति हुई है।

डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर सामग्री नियंत्रण

यह मामला डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर सामग्री के नियंत्रण और जवाबदेही को लेकर बड़े सवाल खड़े करता है। गूगल और यूट्यूब जैसे बड़े प्लेटफॉर्म की जिम्मेदारी है कि वे अदालत के आदेशों का पालन करें और झूठी सामग्री को तुरंत हटाएं।

सुंदर पिचाई (Sundar Pichai) जैसे शीर्ष अधिकारी को यह सुनिश्चित करना होगा कि कंपनी न केवल तकनीकी बल्कि नैतिक जिम्मेदारियों का भी पालन करे।

सुंदर पिचाई (Sundar pichai): जीवन, परिवार और पेशा|

प्रारंभिक जीवन

सुंदर पिचाई, जिनका पूरा नाम सुंदराजन पिचाई है, का जन्म 10 जून 1972 को मदुरै, तमिलनाडु में हुआ था। वे एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं। उनके पिता, रेघुनाथ पिचाई, ब्रिटिश कंपनी GEC में इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे, और उनकी माता, लक्ष्मी पिचाई, एक स्टेनोग्राफर थीं। पिचाई का बचपन चेन्नई के अशोक नगर में बीता, और उनकी प्रारंभिक शिक्षा वहीं हुई।

शिक्षा

सुंदर पिचाई ने IIT खड़गपुर से मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने अमेरिका के प्रतिष्ठित स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से मास्टर्स डिग्री और वॉर्टन स्कूल, पेंसिल्वेनिया से MBA किया। वॉर्टन में उन्हें सिबेल स्कॉलर और पाल्मर स्कॉलर का सम्मान मिला।

(Sundar pichai) करियर

सुंदर पिचाई ने 2004 में गूगल ज्वाइन किया। वे शुरू में गूगल टूलबार और फिर गूगल क्रोम ब्राउज़र के विकास में प्रमुख भूमिका निभाने के लिए जाने जाते हैं। उनकी नेतृत्व क्षमता ने उन्हें 2015 में गूगल के सीईओ का पद दिलाया। 2019 में, वे गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट इंक. के भी सीईओ बन गए।

परिवार

सुंदर पिचाई की पत्नी का नाम अंजलि पिचाई है, जो केमिकल इंजीनियर हैं। दोनों IIT खड़गपुर में सहपाठी थे। उनके दो बच्चे हैं—एक बेटा और एक बेटी। पिचाई अपने परिवार के साथ अमेरिका के कैलिफोर्निया में रहते हैं।

उपलब्धियां

सुंदर पिचाई की कहानी एक साधारण परिवार से वैश्विक स्तर पर सफलता हासिल करने की प्रेरणा है। उनके नेतृत्व में गूगल ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्लाउड कंप्यूटिंग और गूगल हार्डवेयर में उल्लेखनीय प्रगति की है।

निष्कर्ष

यह विवाद न केवल गूगल के लिए बल्कि अन्य डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के लिए भी एक चेतावनी है कि वे अपनी नीतियों को पारदर्शी और कानूनी आदेशों के प्रति संवेदनशील बनाएं। ध्यान फाउंडेशन और योगी अश्विनी के खिलाफ वीडियो ने यह दिखाया कि डिजिटल युग में झूठी जानकारी कितनी आसानी से फैल सकती है और इसका प्रभाव कितना गंभीर हो सकता है।

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